Advance Tax: वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एडवांस टैक्स के चौथे और आखिरी इंस्टॉलमेंट पेमेंट की आखिरी तारीख 15 मार्च है. 31 मार्च को चालू वित्त वर्ष समाप्त भी हो रहा है. टैक्सपैयर्स 1 अप्रैल 2024 से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर पाएंगे. इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि एडवांस टैक्स क्या होता है, किन टैक्सपेयर्स को इसे जमा करने की जरूरत होती है और कैसे इसे जमा किया जाता है. बता दें कि एडवांस टैक्स को 4 अलग-अलग इंस्टॉलमेंट में जमा करना होता है.
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Advance Tax किसे जमा करना पड़ता है?
अगर किसी टैक्सपेयर्स पर किसी वित्त वर्ष में 10000 रुपए से अधिक का टैक्स बनता है तो उसके लिए एडवांस टैक्स पेमेंट करना जरूरी है. टैक्स पेमेंट के इस तरीके में आप जैसे-जैसे कमाते जाते हैं, टैक्स का भुगतान करना होता है. अगर आप सैलरीड इंडिविजुअल, फ्रीलांसर या बिजनेस करते हैं तो आपके लिए एडवांस टैक्स जमा करना जरूरी होता है. नौकरी करने वाले लोगों के साथ यह होता कि एंप्लॉयर हर महीने उनकी सैलरी से TDS काट लेता है. ऐसे में एडवांस टैक्स की जरूरत अमूमन नहीं होती है. फ्रीलांसर और बिजनेस करने वालों के लिए यह जरूरी होता है.
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Advance Tax को 4 इंस्टॉलमेंट में जमा करना होता है
एडवांस टैक्स को 4 अलग-अलग इंस्टॉलमेंट में जमा किया जाता है. वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून के लिए एडवांस टैक्स जमा करने की तारीख 15 जून है. दूसरी तिमाही के लिए पेमेंट डेडलाइन 15 सितंबर है. तीसरी तिमाही के लिए पेमेंट डेडलाइन 15 दिसंबर है. चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च के लिए एडवांस टैक्स जमा करने की तारीख 15 मार्च होती है.
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4 इंस्टॉलमेंट जमा करने की डेडलाइन क्या-क्या है?
इनकम टैक्स नियम के मुताबिक, टैक्सपेयर्स पर अगर 10000 रुपए से अधिक टैक्स बनता है तो एडवांस टैक्स जमा करना जरूरी होता है. 15 जून तक पहले इंस्टॉलमेंट में कम से कम 15% एडवांस टैक्स जमा करना जरूरी है. 15 सितंबर तक दूसरे इंस्टॉलमेंट में 45% तक टैक्स जमा करना जरूरी होता है. 15 दिसंबर तक तीसरे इंस्टॉलमेंट में 75% तक टैक्स जमा करना जरूरी होता है. 15 मार्च यानी चौथे इंस्टॉलमेंट में 100% टैक्स जमा करना पड़ता है.
समय पर Advance Tax जमा नहीं करने पर लगेगा इंटरेस्ट
अगर किसी कारणवश टैक्सपेयर निश्चित डेडलाइन के भीतर निश्चित टैक्स जमा नहीं करता है तो उसे लेट पेमेंट जमा करना होता है. इसके अलावा पेनाल्टी भी लगती है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 234B और 234C के अंतर्गत इसका प्रावधान है. अलग-अलग डेडलाइन पर जो टैक्स की लाएबिलिटी बनती है उसका अगर 90% से कम जमा किया जाता है इंटरेस्ट जमा करना होता है.
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