Systematic Transfer Plan: बदलते वक्त के साथ निवेश का तरीका भी बदल रहा है. अब हर निवेशक शेयर बाजार में पार्टिसिपेट करना चाहता है. जो निवेशक कम रिस्क लेना चाहते हैं, उनके लिए Mutual Funds बेस्ट तरीका है. ऐसे निवेशकों के लिए SIP बेस्ट मानी जाती है. हालांकि, जिन लोगों की रेग्युलर इनकम नहीं है वैसे निवेशकों के लिए सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान बेस्ट तरीका है. आइए सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान के बारे में विस्तार से जानते हैं.
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सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान क्या होता है?
ज्यादातर Mutual Fund Investors सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के बारे में जानते हैं और इसका प्रयोग भी करते हैं. दूसरी तरफ सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान यानी STP के बारे में निवेशक जानते जरूर हैं, लेकिन ज्यादातर निवेशक इसे समझ नहीं पाते हैं. SIP में एक निश्चित राशि मंथली, तिमाही, छमाही या सालाना आधार पर आपके सेविंग अकाउंट से कटता है. STP में यह राशि एक म्यूचुअल फंड स्कीम (सोर्स स्कीम) से दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीम (टारगेट स्कीम) में ट्रांसफर की जाती है.
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान किन निवेशकों के लिए है?
म्यूचुअल फंड में निवेश SIP के अलावा एकमुश्त भी किया जा सकता है. अगर आप एकमुश्त निवेश करना चाहते हैं और बाजार की टाइमिंग से बचना चाहते हैं तो उनके लिए एसटीपी बेहतर विकल्प है. अगर आप फ्रीलांसर हैं या फिर रेग्युलर इनकम नहीं आती है तो ऐसे निवेशकों के लिए बाजार की टाइमिंग से बच पाना मुश्किल होता है. ऐसे में वे STP की मदद से खुद को वोलाटाइल बाजार से बचा सकते हैं.
कैसे काम करता है STP?
उदाहरण के तौर पर आपके पास 10 लाख रुपए है. इस समय बाजार में जबरदस्त हलचल है. ऐसे में आपको यह पता नहीं है कि बाजार ऊपर जाएगा या फिर नीचे आएगा. ऐसे में किसी इक्विटी फंड में एकमुश्त निवेश करने से बचना चाहते हैं. ऐसे निवेशक STP का फायदा उठा सकते हैं. पहले वे किसी लिक्विड या डेट फंड में पूरा पैसा निवेश करेंगे जो सोर्स स्कीम की तरह काम करेगी. उसके बाद हर महीने 1-1 लाख रुपए सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान की मदद से टारगेट स्कीम में SIP करेंगे. एक तरफ आपको SIP का फायदा मिलेगा वोलाटाइल में ऐवरेजिंग होगी. दूसरी तरफ लिक्विड फंड में पैसा जमा होने के कारण सेविंग के मुकाबले बेहतर रिटर्न मिलेगा.
क्यों करना चाहिए सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान के जरिए निवेश?
STP उन निवेशकों के लिए है जिनके पास बड़ा कार्पस है और वे बाजार में टाइमिंग के कारण होने वाले किसी तरह के नुकसान से बचना चाहते हैं. अगर आपका कॉर्पस छोटा है तो SIP करना ज्यादा फायदेमंद होगा. अगर आपकी रेग्युलर इनकम कम है तो छोटे से अमाउंट से SIP शुरू करें. इसके अलावा फ्रीलांसिंग या किसी दूसरे सोर्स से जो इरेग्युलर इनकम आ रही है, उस पैसे से सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान करें. अगर आप Smart Investors हैं तो बाजार में करेक्शन आने पर STP की मदद से पहले से निवेशित फंड में एडिशनल यूनिट खरीद लें.
Features of Systematic Transfer Plan
ज्यादातर फंड हाउस STP में एंट्री चार्ज नहीं लेते हैं. हालांकि, एग्जिट चार्ज लग सकता है. SEBI के मुताबिक एग्जिट लोड मैक्सिमम 2% हो सकता है. एक वित्त वर्ष में कम से 6 ट्रांसफर सोर्स फंड से टारगेट फंड में करना जरूरी है. सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान के अंतर्गत सोर्स फंड में मिनिमम इन्वेस्टमेंट को लेकर किसी तरह का नियम नहीं है. हालांकि, फंड हाउस के कम से कम 12000 रुपए निवेश करने के लिए कहते हैं.
रिटायरमेंट कॉर्पस के लिए STP शानदार
फाइनेंशियल एडवाइजर रिटायरमेंट कॉर्पस के लिए सिस्टमैटिक ट्रांसफर पर जोर देते हैं. इसे उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपकी उम्र 30 साल है. अगले 30 सालों तक आपने रिटायरमेंट के लिए इक्विटी स्कीम्स में निवेश करने का फैसला किया है. जब आपकी उम्र बढ़ती है तो रिस्क लेने की क्षमता घटती है. इक्विटी में मिलने वाला रिटर्न हाई होता है. जब आप 55 साल के करीब पहुंचते हैं तो आपने उस इक्विटी फंड से STP की मदद से Debt Funds में पैसे ट्रांसफर करना शुरू किया. इस तरह रिटायरमेंट तक पहुंचते-पहुंचते आपका सारा पैसा इक्विटी फंड से डेट फंड्स में ट्रांसफर हो जाएगा. आपका पैसा पूरी तरह रिस्क फ्री हो जाएगा.
STP में कैसे होता है Tax का हिसाब?
टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, सोर्स फंड से जब पैसा ट्रांसफर किया जाता है तो इसे Redemption की तरह माना जाता है और रिडम्पशन टैक्सेबल होता है. अगर किसी इक्विटी फंड को सोर्स फंड बनाया गया है तो यहां से रिडम्पशन करने पर 12 महीने के भीतर 15% का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) लगता है. 12 महीने से ज्यादा अवधि के लिए जो कैपिटल गेन होगा उसपर LTCG यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. 1 लाख तक एलटीसीजी टैक्स फ्री होता है. इसपर टैक्स रेट 10% है.
सोर्स फंड अगर Debt Funds होगा तो कैसे लगेगा Tax?
अगर सोर्स फंड Debt Funds कैटिगरी में आता है तो 3 साल तक रिडम्पशन पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) लगेगा. कैपिटल गेन निवेशक की टोटल इनकम में शामिल हो जाएगी और जिस टैक्स स्लैब में आते हैं उस हिसाब से टैक्स लगेगा. 3 साल बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG)लगता है. यह 20% होता है. हालांकि इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा.
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